what is food security bill in india



India’s cabinet on Wednesday issued an executive order to start a 1.3 trillion rupee ($22 billion) welfare programme that would bring cheap food to hundreds of millions of poor people throughout the country.

Despite the order, both houses of parliament must vote on the programme when they meet for the Monsoon session later this month.

The programme, which would provide highly subsidized food to about two-thirds of India’s population, is seen by many as a key initiative of the ruling Congress party.

The programme aims to provide subsidized wheat and rice to 70 percent of India’s population. When implemented, the scheme will massively broaden an existing programme of providing cheap food to 218 million people.
Critics say beneficiaries do not stand to gain as about 40 percent of rice and wheat earmarked for the poor gets siphoned off due to corruption. An inefficient distribution channel also leads to waste.
Despite being one of the biggest producers of food supplies, India is home to 25 percent of the world’s hungry poor, according to a U.N. agency.

Here are some of the highlights of this bill:

  • Up to three-quarters of people in the rural areas and up to half of the urban population would get five kilograms of grains per month at subsidized prices (3 rupees per kilo for rice, 2 rupees per kilo for wheat and 1 rupee per kilo for coarse grains).
  • The poorest households would continue to receive 35 kilograms of grains per month under the “Antyodaya Anna Yojana” at subsidized prices.
  • Pregnant women and lactating mothers would receive a maternity benefit of at least 6,000 rupees.
  • Children aged six months to 14 years would get take-home ration or hot cooked food.
  • The central government also would provide money to states and union territories if it runs low on grain.
  • The central government also would provide “assistance” towards the cost of intra-state transportation, handling of grains.
  • In a bid to give women more authority in running their households, the oldest adult woman in each house would be considered the head of that household for issue of ration card.

(Source: PIB website, read complete text here)

[PDF]

Food Security Bill, 2011

food security in india.pdf

क्या है खाद्य सुरक्षा ?
>>> खाद्य सुरक्षा बिल पर काफी दिनों से चल रही लंबी रस्सा-कस्सी ने गरीबों की इस योजना को राजनीति के पचड़े में डाल दिया । इससे इतर हटकर केन्द्रीय कैबिनेट ने अब इस महत्वाकांक्षी योजना को अध्यादेश के जरिए देश में लागू कराने का फैसला किया है । दावे किए जा रहे हैं कि इस योजना के तहत गरीबों को फायदा होगा ।

क्या है खाद्य सुरक्षा बिल ? -
इस योजना के तहत देश की करीब दो तिहाई आबादी को लाभ मिलने की उम्मीद है । योजना के मुताबिक गरीबों को 2 रुपए किलो गेहूं, 3 रुपए किलो चावल और 1 रुपए किलो मोटा अनाज राशन दुकानों के माध्यम से दिया जाएगा । एक परिवार को हर माह 25 किलो अनाज मिलेगा । गांवों की 75 फीसदी और शहरों में करीब 50 फीसदी आबादी तक यह योजना पहुंचेगी । इस योजना को फिलहाल 3 साल के लिए लागू करने की बात कही जा रही है ।

कितना और क्या देगी सरकार ? -
खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत मिड डे मील, आईसीडीएस भी शामिल हो जाएंगे । अनुमान के मुताबिक इस योजना के लागू होने से सरकार को प्रतिवर्ष 1 लाख 24 करोड़ रुपए की सब्सिडी देनी होगी । एक किलो चावल पर 23.50 और गेहूं पर प्रतिकिलो 18 रुपए की सब्सिडी देनी होगी । 3 साल में करीब 6 लाख करोड़ की सब्सिडी दिए जाने का अनुमान है ।

खाद्य सुरक्षा योजना में प्रावधान -
योजना के तहत देश की 63.5 प्रतिशत आबादी को सस्ते दामों में अनाज मुहैया कराया जाएगा । खाद्य सुरक्षा विधेयक का बजट पिछले वित्तीय वर्ष के 63000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 95000 करोड़ रुपए किया जाएगा । कृषि उत्पाद बढ़ाने के लिए 110000 करोड़ रुपए का निवेश प्रस्ताव भी अपेक्षित है ।

खाद्य सुरक्षा योजना खास पहलू -
*- इस बिल के तहत 3 सालों तक चावल 3 रुपये किलो, गेहूं 2 रुपये किलो और मोटा अनाज1 रुपये किलो देने का प्रावधान है ।
*- योजना का लाभ पाने का हकदार कौन होगा, ये तय करने की जिम्मेदारी केंद्र ने राज्य सरकारों पर छोड़ दी है ।
*- घर की सबसे बुजुर्ग महिला को परिवार का मुखिया माना जाएगा ।
*- गर्भवती महिला और बच्चों को दूध पिलाने वाली महिलाओं को भोजन के अलावा अन्य मातृत्व लाभ (1000 रुपये) भी मिलेंगे ।
*- योजना को लागू करने के लिए सरकार को इस वर्ष (2013-14) 612.3 लाख टन अनाज की जरूरत होगी ।
*- केंद्र को अनाज के खरीद एवं वितरण के लिए 1.25 लाख करोड़ रुपये खर्च करने होंगे ।
*- गांवों की 75 फीसदी और शहरों की 50 फीसदी आबादी इस योजना के दायरे में आएगी ।
*- अगर राज्य सरकार सस्ता अनाज नहीं दे पाई तो केंद्र द्वारा मदद मुहैया कराई जाएगी ।
*- 6 से 14 वर्ष तक की आयु वाले बच्चों को आईसीडीएस और मिड-डे-मील योजना का लाभ मिलेगा ।
*- शिकायतों को दूर करने के लिए सभी राज्यों को फूड पैनल या आयोग बनाना होगा । अगर कोई कानून का पालन नहीं करता तो आयोग उस पर कार्रवाई हो सकती है ।

खाद्य सुरक्षा बिल पर राज्यों का रुख -
13 फरवरी को दिल्ली में हुए खाद्य सुरक्षा बिल पर राज्यों की बैठक हुई थी । ज्यादातर राज्यों ने बिल को लेकर कड़ा विरोध जताया था । इस योजना से राज्यों पर करीब 36 हजार करोड़ रुपए का भार पड़ेगा । राज्य चाहते थे कि सुरक्षा योजना के खर्चे का बोझ उन पर न डाला जाए । साथ ही योजना के लाभार्थी को चुनने का हक भी राज्यों के मिले । <<<

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